मेरा मन !
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नेताओ की डगर पे चमचों दिखाओ चलके,
यह देश है हमारा नेता तुम हो कल्ह के!
बेईमानी की राह पे तुमहे युही है बठ्ते रहना
कुछ भी हो जाये तुम कुर्सी से चिपके रहना`!
अपने हो या पराये जो भी कभी सवाल उठाये
कुचल देना उन सभी को सत्ता न डगमगाए!
हिन्दू हो मुसलमान हो या सिख और इसाई
लेकिन ना होने देना कभी उनको भाई-भाई!
मजहब से कम ना हो तो जाती को याद करना
लेकिन कुछ भी हो जाये कभी एक ना होने देना!
इंसानियत क्या है है और क्या है इमानदारी
सत्ता जो हमे दिलाये वही बात सबसे प्यारी!
jay hind!
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