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ए हुस्न इश्क को बदनाम न कर!!

मेरा मन !
मेरा मन !
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244291दिल तोड़ना ही है शौक तेरा,तो प्यार को तू बदनाम न कर!
अपने झूटे वादों से किसी और को तो तू परेसान न कर!
तेरे हुस्न पे है तुझे इतना गुमा तो और को तू बदनाम न कर!
अपनी कातिल निगाहों से यु सरेआम तू कत्ले आम न कर!
एक दिन एईषा भी आएगा ये हुस्न तेरा ढल जायेगा!
सुनी होंगी गलियाँ तेरी तेरे चौखट कोई न आएगा!
इस दो दिन की जवानी पे इतना तू झूठा गुमान न कर!
अपनी झूठी शान में तू ए हुस्न इश्क को बदनाम न कर!

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