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लहूलुहान धरती कहती है,हाथ जोर विनती करती है!

मेरा मन !
मेरा मन !
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हर शहर शमशान होगा,गावं सब वीरान होगा!
लाशो की महफ़िल सजेगी,खून सना हिंदुस्तान होगा!
कराहे की आत्मा शहीदों की,झुकेगा सर अमर्त्य वीरो की!
कायर नेहरु के सपनों का लहूलुहान हिंदुस्तान होगा!
हो मुझझ्पर नगर का दंगा,या हो कश्मीर का पंगा!
नाच रहा नेता सब नंगा,है ये सब वोट का फंडा!
जयचंदों की फौज खड़ी है,मुर्दों से ये देश पटी है!
अब गौरी सरहद पर न रहता,देश में है अनेको अड्डा!
है जो हिंदुस्तान का खाता,भाषा पकिस्तान का बोलता!
सरहद पर सैनिक मरता है,सर काट भेजा जाता है!
बेसरम नेता कहता है,सैनिक मरने ही जाता है!
बारूद का है ढेर सजाता,खून बहा जिहाद है करता!
और जब पकरा जाता है,खड़ा होता इस्लाम का झंडा!
जोर जोर से चिल्लाता है,धर्मनिरपेक्ष ढोंगी सब नेता!
लहूलुहान धरती कहती है,हाथ जोर करती विनती है!
इन लाशो का करो संस्कार,अब इनका नहीं उठता भार!
हे महाकाल कर दो प्रलय,और नहीं कोई है विनय!
इन कायर सौ कड़ोड पूतो से,मुक्त करो कपूतो से!

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