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क्यों सेवक मालिक बन बैठे!!

मेरा मन !
मेरा मन !
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सत्य हुआ निर्वंश यहाँ ,झूठ की होती पूजा है !
चोर लुटेरे गद्दी पर,साधू के हाथ में जूता है!!
सेवक मालिक बन बैठे ,मालिक भूखा नंगा है!
हाथ पसार कर वोट लिया,अब हाथों में डंडा है!!
घोटालो का यहाँ कौन कहे,होता महाघोटाला है!
जब रक्षक ही भक्षक बन बैठा तो कौन बचानेवाला है!!
वादा था देश बचाने का,अब देश बेचने का इरादा है!
कागज पर होता काम यहाँ,अन्दर गरबर घोटाला है!!
किसको है यहाँ इसका फिकर,जाती धर्म का नाता है!
लुटने वाला लुट लिया,बाकी सबसिटी उठाता है!!
कागज कलम पर टैक्स बढ़ा,गाँजा सस्ता मिलता है!
मदिरा पर है छूट यहाँ,दवाई महँगा आता है!!
अनाज सरे गोदामों में ,आदमी भूखा सोता है!
साग सब्जी महँगी हुई,थाली सुखा रहता है!!
लोकतंत्र के छत्र तले,राजतन्त्र छा जाता है!
सत्य यहाँ जो बोले,उसे डंडा दिखाया जाता है!!

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