मेरा मन !
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शब्दों का बाण चलाते है,
हम कलम से आवाज़ लगाते है!
यह रचना मेरी कविता है,
हम कवि यहाँ कहलाते है!
शब्दों का न कोई मेल यहाँ ,
छंदो का न कोई खेल यहाँ !
जो मन आये वही लिख जाते है ,
हम कवि यहाँ कहलाते है!
उजरे पतझर के बागो में ,
सूखे बरगद के पेड़ो पर !
शब्दों से बसंत ले आते है,
हम कवि यहाँ कहलाते है!
बंजर परे सूखे खेतो में,
दूर दूर तक फैले रेत के ढेरों पर!
हम हरियाली फैला देते है,
इसीलिए हम कवि कहे जाते है!
अनगिनत ईच्छाओ का बोझ लिए,
नूतन उम्मीदों का डोर लिए!
हम जीवन अपना जी जाते है,
इसलिए कवि कहलाते है!
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