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जिंदगी

मेरा मन !
मेरा मन !
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मिलता नहीं किसी को मुक्कमल जहान कभी,हसरतो की लिस्ट लम्बी होती है!
एक मुराद अभी पूरी होती भी नहीं की, कुछ और पाने की तमन्ना जाग जाती है!!

बचपन की मस्ती से जी भरता भी नहीं की जवानी अंगराई लेने लगती है!
जोश ए जवानी अभी थमता भी नहीं की बुढ़ापे की दुहाई मिलने लगती है!!

अरमानो की फ़ौज़ दिल में लिए,दिन गिन गिन कर जिंदगी आगे बढ़ती है!
मन की प्यास अभी मिटती भी नहीं की जिंदगी की शाम ढलने लगती है!!

ये अपना ये पराया कौन है कैसा पहचानने में ही वक़्त गुजर जाता है!
ठीक से जिंदगी जी पाते भी नहीं की दबे पाँव मौत का आता न्योता है!!

सबकुछ सँभालते है जिसके लिए,पलभर रखने को भी तैयार नहीं होता है!
अकेला छोड़कर चिता पर जलने के लिए,लौट कर सब वापस चला आता है!!

पलभर में सब पीछे छूट जाता है,न किसी से कोई रिश्ता न ही नाता है!
यही हमेशा से दुनिया की रीत रही ऐसी ही मानव जीवन गाथा है!!

कोशिश करे कोई ये भी कुछ कम नहीं,सपनो की दुनिया तो यु भी अधूरी है!
मंजिले यु भी यहाँ किसको है मिलती,अधूरी ख्वाहिशो का ही नाम जिंदगी है!!

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