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भूखे नंगे , अधनंगो कि आत्मा करती पुकार!

मेरा मन !
मेरा मन !
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भूखे नंगे,अधनगों की आत्मा करती पुकार!
और कुछ दो या न दो , अब न दो ये दुत्कार!!

अधिकार दे न सको तो ,कर दो हमारा संहार!
पर न दो हमें अब , ये आश्वासनों का अम्बार!!

सो रहे है अब तक,होकर पेट की ज्वाला से लाजार!
जग गए हम अगर तो ,कर देंगे तुम्हारा संहार!!

संभल जाओ इससे पहले,कि हम हो जाये तैयार!
रोक न पाओगे फिर हमें,कर न सकोगे प्रतिकार!!

जाती-धर्म के नाम पर ,बटकर हम हुए बेकार!
मिल गए हम अगर तो ,जनता जनार्दन का अवतार!!

खादी कि ढाल ओठे ,नेताओ के भेष में सियार!
बंद करो ये भ्रष्टाचार,बलात्कार और व्यभिचार!!

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